Wednesday, July 26, 2017

कॉग्रेस का काकीनाड़ा अधिवेशन और बस्तर (बस्तर: अनकही-अनजानी कहानियाँ, भाग – 38)


यह बार बार उठने वाला प्रश्न है कि जिस दौरान राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन मुखर था, उन दिनों बस्तर के भीतर कैसी गतिविधियाँ चल रही थीं? बस्तर रियासत ने एकजुटता के साथ अंग्रेजों का विरोध किया, इसका बड़ा उदाहरण तो वर्ष 1910 का महान भूमकाल है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक-सूत्रता वाली राष्ट्रीय चेतना का अहसास भी उस दौर में धीरे धीरे बस्तर पहुँचने लगा था। जगदलपुर के ग्रिग्सन हाई स्कूल में यूनियन जैक का जलाया जाना इस दिशा की एक महत्वपूर्ण घटना है। भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस की पहुँच कांकेर रियासत तक सहज हो गयी थी किंतु इसके आगे का बस्तर क्षेत्र उनकी गतिविधियों से अनजान था। ऐसे में भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस का काकीनाड़ा अधिवेशन महत्व का है। ऐसा नहीं कि इस अधिवेशन में बस्तर को ले कर कोई प्रस्ताव आया अथवा उसपर कोई चर्चा भी हुई। कुछ जुझारू कॉग्रेस सदस्यों व स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्रयासों से इसकी कडी बस्तर से जोड़ दी। 

यह विदित है कि भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का वर्ष 1923 में आयोजित अधिवेशन मौलाना मुहम्मद अली की अध्यक्षता में आंध्रप्रदेश के काकीनाड़ा शहर में हुआ था। देश भर से इस अधिवेशन में भाग लेने के लिये कार्यकर्ता अपने अपने साधनों-संसाधनों से पहुँच रहे थे। इसी  अधिवेशन में प्रतिभागिता के लिये धमतरी से पच्चीस कार्यकर्ताओं का एक जत्था भी जाने वाला था। इस जत्थे में सम्मिलित कार्यकर्ताओं ने काकीनाडा तक पदयात्रा करने का सुनिश्चित किया। इस यात्रा के लिये बस्तर से हो कर आंध्र जाने वाले मार्ग का चयन किया गया। कॉग्रेस कार्यकर्ताओं के इस जत्थे ने बस्तर में महात्मा गाँधी के विचारों और स्वतंत्रता की आवश्यकता के संदेशों को पूरे रास्ते प्रचारित किया। उल्लेख मिलता है कि यह जत्था प्रतिदिन पंद्रह से बीस मील की यात्रा पूरी करता। बस्तर के जनजातीय क्षेत्रों में भाषा की बाध्यता को देखते हुए सत्याग्रहियों द्वारा महात्मा गाँधी तथा नेताओं की तस्वीरों का सहारा लिया गया था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की ऐसी घटनायें छोटी प्रतीत होती हैं किन्तु ऐसे ही प्रयासों ने एकजुटता में अपनी भूमिका निभाई थी। बस्तर में जगदलपुर तथा कांकेर जैसे रियासत के नगरीय क्षेत्रों में स्वतंत्रता पूर्व कॉग्रेस ने धीरे धीरे ऐसे ही सतत प्रयासों से अपनी पैठ बना ली थी।

- राजीव रंजन प्रसाद 
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