Monday, July 17, 2017

सेंट जॉर्ज ऑफ जेरुसलम (बस्तर: अनकही-अनजानी कहानियाँ, भाग – 30)


राजा रुद्रप्रताप देव (1891 – 1921 ई.) का शासन समय अंग्रेजों के सीधे प्रभाव में था। केवल छ: वर्ष की आयु में रुद्रप्रताप देव राजा बने तथा वर्ष 1908 तक पूरी तरह उनके नाम पर चलने वाला शासन अंग्रेजों द्वारा संचालित था। उनके शासन समय में ही दो अंग्रेज अधिकारी कैप्टन एल जे फैगन (1896 – 1899 ई.) तथा कैप्टन जी डब्लू गेयर (1899 – 1903 ई.) ने बस्तर प्रशासक के रूप में कार्य किया था जिसका गहरा प्रभाव राजा पर था। शासनाधिकार प्राप्त होने के पश्चात एक प्रशासक के रूप में जगदलपुर शहर के लिये की गयी ‘स्वच्छ जल की सप्लाई व्यवस्था’ तथा ‘दलपत सागर को गहरा किये जाना’ राजा रुद्रप्रताप देव द्वारा किये गये प्रमुख कार्यों में गिना जायेगा। राज्य का पहला पुस्तकालय भी रुद्रप्रताप देव की पहल से ही अस्तित्व में आया। राजा ने बस्तर प्रिंटिंग प्रेस तो सन 1905 में ही आरंभ करवाया था। कोरबा में बिजली उत्पादन आरंभ होने के बाद सन 1916 में राज्य की राजधानी प्रकाशित हो उठी। रुद्रप्रताप रंगमंच के शौकीन थे तथा 1914 में उन्होंने एक रामलीला मंडली की भी स्थापना की थी।

1914 में विश्वयुद्ध छिड़ गया। राजा रुद्रप्रताप (1891 – 1921 ई.) ने इस समय ब्रिटिश हुकूमत में अपना समर्थन जताया। अपनी ओर से सहायता के लिये बस्तर में काष्ठ से निर्मित बोट एम्बुलेंस ब्रिटिश सेना की सहायता के लिये भेजी गयी थी।  मोटर चालित इस तरह की बोट एम्बुलेंस का नाम “दि बस्तर” रखा गया था। 1918 में विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार ने राजा को उनके द्वारा की गयी सहायता तथा उनकी स्वभावगत सादगी और सज्जनता के लिये ‘सेंट जॉर्ज ऑफ जेरुसलम’ की उपाधि प्रदान की (लौहण्डीगुडा तरंगिणी, प्रवीर चंद्र भंजदेव, 1963)। 

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