Tuesday, June 20, 2017

प्रथम महिला शिक्षक और प्रथम महिला शासक (बस्तर: अनकही-अनजानी कहानियाँ, भाग – 3)



उन्हें बस्तर में पहली महिला शिक्षक होने का गर्व प्राप्त है। वे बस्तर की पहली महिला शासक महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी की अध्यापिका थीं। अध्यापिका बी माधवम्मा नायडू के बस्तर आने तथा राजपुत्री को शिक्षित करने एवं कन्या पाठशाला खोलने तक का सफर किसी चलचित्र जैसा है। बाल-विधवा तथा निराश्रित होने के पश्चात भी अध्ययनशील माधवम्मा अपने भाई के साथ मद्रास रेजिमेंट की पोस्टिंग स्थलों पर रह रही थीं। इस रेजीमेंट के टूटने के पश्चात वर्ष - 1894 में यह परिवार बस्तर राज्य की परलकोट जमीदारी तक पहुँचा। माधवम्मा तब जमींदार के बच्चों को पढाने लगीं। परलकोट से वे भोपालपट्टनम पहुँची एवं वहाँ भी अध्यापन करती रहीं। ख्याति जगदलपुर खींच लायी जहाँ तत्कालीन राजा रुद्रप्रदाप देव ने अपनी पुत्री राजकुमारी प्रफुल्ल कुमारी देवी के शिक्षण के लिये वर्ष 1916 में उन्हे नियुक्त किया। प्रत्यक्षदर्शियों तथा माधवम्मा नायडू पर प्राप्त आलेख (द्वारा श्री बी एन आर नायडू, सेवानिवृत्त प्राचार्य, नायडू मैंशन, सदर, जगदलपुर) के अनुसार उस दौर में अध्यापिका माधवम्मा को लेने के लिये पर्दा लगी हुई बैलगाडी राजमहल से भेजी जाती थी। शिष्या जब राज्य की शासक (वर्ष 1921 - 1936) बन गयीं तब उन्होंने अपने गुरु से पूछा कि आप जीवन में आगे क्या करना चाहती हैं। शिक्षक पढाना ही चाहता है अत: महारानी के निर्देश पर भैरमगंज में एक कन्या पाठशाला आरम्भ की गयी। इस पाठशाला की शुरुआत में अध्ययन के लिये आने वाली बालिकाओं की संख्या बहुत सीमित थी किंतु धीरे धीरे उसमें अभिवृद्धि होने लगी। माधवम्मा वर्ष 1929 में रिटायर हुईं तथा इसके पश्चात उन्हे ब्रिटिश पॉलिटिकल एजेंट के माध्यम से पेंशन मिलने लगी। वर्ष 1936 में महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी का देहावसान हुआ और उसके बाद से उनकी शिक्षक को पेंशन देना बंद कर दिया गया।

- राजीव रंजन प्रसाद 


===========


No comments: