Tuesday, June 20, 2017

प्लम्बली के लकड़ी के पुल (बस्तर: अनकही अनजानी कहानियाँ, भाग 1)



बस्तर के चालुक्य शासक राजा रुद्रप्रताप देव के शासनकाल  (1891 – 1921 ई.) में स्टेट इंजीनियर के पद पर ब्रिटिश अधिकारी प्लम्बली पदस्थ हो कर आये थे। प्लम्बली ने राज्य में लकड़ी की अधिकता व ग्रामीणों की काष्ठकृतियों के निर्माण में परम्परागत दक्षता को समझा और उसी को आधार बना कर लकड़ी के विशेष प्रकार के पुलों की डिजाईन तैयार की। उनका प्रयोग इतना कारगर सिद्ध हुआ कि बनाये गये पुलों के उपर से ट्रकों को गुजारना भी सम्भव हो सका था। प्लम्बली ने अपने इस कार्य और काष्ठपुलों की निर्माण शैली पर उन दिनों एक पुस्तक लिखी जो अभियांत्रिकी के दृष्टिगत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

रियासतकालीन बस्तर में पहला काष्ठपुल वर्ष 1906 में बन कर तैयार हुआ था और वर्ष 1952 तक इस प्रकार के पुल बनाये जाते रहे। लकड़ी का सबसे बड़ा पुल दक्षिण बस्तर के गिलगिचा नाले पर बनाया गया था। बस्तर में विभिन्न सड़कों के मध्य एक समय पन्द्रह सौ से भी आधिक छोटे-बड़े काष्ठपुल निर्मित थे जिनका स्थान धीरे धीरे सीमेंट-कंकरीट के पुलों ने ग्रहण कर लिया। इसका कारण सीमेंट-सरिया के पुलों की मजबूती और अधिक भार-वहन क्षमता थी। इसके अतिरिक्त लकड़ी के पुलों को नियमित रख रखाव की आवश्यकता भी होती थी जो स्वयं भी एक खर्चीला कार्य था।    

- राजीव रंजन प्रसाद 
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