खाली सडक पर
बडी दूर से एक पत्थर को मारता हुआ ठोकर
सोचता रहा कि आसमान में सूराख
क्या रोशनी की नदी धरती पर उतार देगा?
बडी दूर से एक पत्थर को मारता हुआ ठोकर
सोचता रहा कि आसमान में सूराख
क्या रोशनी की नदी धरती पर उतार देगा?
अपने बौनेपन को उँट की टाँगों के पैमाने से नापा
पहाड मुझे देख कर मुस्कुराता रहा
जिसकी फुनगी पर आसमान टंगा था
आसमान में डैने फैला कर उडती हुई चील
गोरैया हुई जाती थी
मैनें अपनी कल्पना को उसके पंखों में बाँध दिया
फिर अपनी तलाश की
तो चींटी की तरह रेंगता मिला
आसमान से देखो तो आदमी कीडे नज़र आते हैं
मैनें मुस्कुरा कर तबीयत से पत्थर उछाला
”छपाक” आवाज़ आयी दो पल बाद
और मेरे पाँव सडक पर बढने लगे...
मैनें मुस्कुरा कर तबीयत से पत्थर उछाला
”छपाक” आवाज़ आयी दो पल बाद
और मेरे पाँव सडक पर बढने लगे...
*** राजीव रंजन प्रसाद
11 comments:
सुंदर अभिव्यक्ति.. बहुत बढ़िया
अच्छा लिखा है।
"मैनें अपनी कल्पना को उसके पंखों में बाँध दिया
फिर अपनी तलाश की
तो चींटी की तरह रेंगता मिला"
बहुत ही उम्दा.
बेहतरीन.
बधाई.
aap to hamesa hi badhiya likhte hain.jari rakhen
आसमान में डैने फैला कर उडती हुई चील
गोरैया हुई जाती थी
मैनें अपनी कल्पना को उसके पंखों में बाँध दिया
सुंदर अभिव्यक्ति
bahut khub,aasman to bahut dur hai insaan se,magar man ke bhav bahut achhe,vichar jitne paripakva utni hi chapak se pathat uchalne wali kruti nanhe balman ki aur ishara karti hai,sundar.
congratulations for new layout of blog,its beautiful
राजीव जी
भाई वाह...कमाल का लिखा है आप ने इस बार. खूबसूरत अभिव्यक्ति पर ढेरों बधईयाँ.
नीरज
वाह! बहुत कमाल का लिखा है, बधाई.
आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी। इस पर मुझे इस तरह विचार आया जो मैंने कविता के रूप में दर्ज कर लिया
दीपक भारतदीप
आसमान से जो देखा धरती पर
तो इंसान चींटियों की तरह
रेंगता नजर आया
वैसे भी धरती पर इंसान
कब इंसान की तरह चल पाया
चींटियों की रानी लेती है
अपनी प्रजा से सेवा
पर इंसान ढूंढता है
अपने आराम से रहने के लिये कोई राजा
जो उसे खिलाये मुफ्त में मेवा
दौड़ सकता है अपनी टांगो के सहारे
पर फिर भी रैंगना उसे पसंद है
करता है पहाड़ जैसी बातें पर
इंसान का चरित्र हमेशा बौना नजर आया
..............................
Excellent.
Sandeep Aggarwal
सोचता रहा कि आसमान में सूराख
क्या रोशनी की नदी धरती पर उतार देगा?
bahut khoob!
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