मुझे मौत ही की सजा मिले।
मुझे गम के फंदे में झोल कर,
तुझे मुस्कुराने की बात हो
मुझको कबूल फिर रात है।
मुझे उफ न करने का दम्भ है
मुझे नश्तरों से गिला नहीं
मुझे रात भर तेरी कैद थी
तू जो खिल गया
मुझे मिल गया
वही रास्ता जहाँ जन्नतें
वही ठौर जिसको कि मन्नतें
कभी सजदा करके न पा सकी.
*** राजीव रंजन प्रसाद
16.04.2007
4 comments:
मुझे रात भर तेरी कैद थी
तू जो खिल गया
मुझे मिल गया
वही रास्ता जहाँ जन्नतें
वही ठौर जिसको कि मन्नतें
कभी सजदा करके न पा सकी.
ehsaas bahut sundar,bahut badhai
sundar rachana. badhai ho.
बहुत उम्दा अहसास हैं.
बहुत सुंदर है भाई. वाह ! क्या बात है.
Post a Comment