Tuesday, August 26, 2008

इतना सख्त भी नहीं पहाड


पहाडों के आगे

बैठा हुआ मैं सोचता हूँ

अगर तुम्हारा गम न रहा होता

तो आज

कितना बौना पाता मैं अपनें आप को


और अब देखता हूँ

इतना सख्त भी नहीं पहाड

जितना मेरा दिल हो गया है..


*** राजीव रंजन प्रसाद

2 comments:

Nitish Raj said...

सचमुच...सही अभिव्यक्ति

Udan Tashtari said...

बहुत जबरदस्त!!