ज़िन्दगी को समझना है?
सागर को तैरो तो उस पार पहुचो..
अरे डूब जाओ न आँखों में उसकी
वही सत्य है फिर
वही ब्रह्मदर्शन..
*** राजीव रंजन प्रसाद
१५.०१.१९९६
सागर को तैरो तो उस पार पहुचो..
अरे डूब जाओ न आँखों में उसकी
वही सत्य है फिर
वही ब्रह्मदर्शन..
*** राजीव रंजन प्रसाद
१५.०१.१९९६
5 comments:
अरे डूब जाओ न आँखों में उसकी
वही सत्य है फिर
वही ब्रह्मदर्शन..
:) bahut khub,ankhein hi sagar hai,dub jane ke liye aur zindagi bhi
वाह कम सब्दों में सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।
bhut badhiya.
दिव्य दर्शन हो गये!! बहुत खूब!
doobeyji doob gaye ji apki in chand lineon mein
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