Wednesday, July 02, 2008

ब्रह्मदर्शन..


ज़िन्दगी को समझना है?
सागर को तैरो तो उस पार पहुचो..

अरे डूब जाओ न आँखों में उसकी
वही सत्य है फिर
वही ब्रह्मदर्शन..

*** राजीव रंजन प्रसाद
१५.०१.१९९६

5 comments:

Anonymous said...

अरे डूब जाओ न आँखों में उसकी
वही सत्य है फिर
वही ब्रह्मदर्शन..
:) bahut khub,ankhein hi sagar hai,dub jane ke liye aur zindagi bhi

शोभा said...

वाह कम सब्दों में सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।

Anonymous said...

bhut badhiya.

Udan Tashtari said...

दिव्य दर्शन हो गये!! बहुत खूब!

Doobe ji said...

doobeyji doob gaye ji apki in chand lineon mein