Monday, May 12, 2008

मछली की आँखें


मेरी अमावस्या इस लिये है
कि मेरा चाँद
मेरी आँखों की बाहों में लिपट गया है
और कुछ दीख नहीं पडता
सिर्फ मछली की आँखें..

*** राजीव रंजन प्रसाद
२१.०२.१९९७

3 comments:

dpkraj said...

वाह,बहुत बढिया प्रस्तुति
दीपक भारतदीप

Udan Tashtari said...

गहरे भाव.

Pramendra Pratap Singh said...

बहुत खूबसूरत,