मेरी अमावस्या इस लिये है
कि मेरा चाँद
मेरी आँखों की बाहों में लिपट गया है
और कुछ दीख नहीं पडता
सिर्फ मछली की आँखें..
*** राजीव रंजन प्रसाद
२१.०२.१९९७
कि मेरा चाँद
मेरी आँखों की बाहों में लिपट गया है
और कुछ दीख नहीं पडता
सिर्फ मछली की आँखें..
*** राजीव रंजन प्रसाद
२१.०२.१९९७
3 comments:
वाह,बहुत बढिया प्रस्तुति
दीपक भारतदीप
गहरे भाव.
बहुत खूबसूरत,
Post a Comment