Monday, July 09, 2007

तस्वीरों को..


सिर्फ तुम्हारी चंद तस्वीरें मेरे पास हैं
और तुम कहीं भी नहीं

तुम्हें भूल जाने की कोशिशें तो की हैं
लेकिन जला नहीं पाता उन तस्वीरों को
एक सोच सुलग जाती है हर बार
तुम्हारी तस्वीर मेरी आँखें झुलसा देती है
और अपनें अंतिम-संस्कार पर
तुम्हारी उन्ही उदास तस्वीरों को
फिर रोता पाता हूँ..

*** राजीव रंजन प्रसाद
९.०३.१९९८

8 comments:

Udan Tashtari said...

बड़ी उदासी और घोर हताशा!! क्या बात है, भाई??

Anonymous said...

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रंजू भाटिया said...

बहुत उदास पर दिल के सच को छुने वाली रचना

Gaurav Shukla said...

"तुम्हारी तस्वीर मेरी आँखें झुलसा देती है"

क्या बात है! निःशब्द

सस्नेह
गौरव शुक्ल

Anupama said...

:-( aise kyun likha....again im down .....

शोभा said...

राजीव जी
बहुत ही सुन्दर रचना है । जो आपके पास है वही सँभाल कर
रखिए । जीवन में सब कुछ नही मिलता और तसवीर का होना
यही बताता है कि आप बहुत धनवान हैं ।
सस्नेह

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आपका कलात्मक सेंस बहुत प्यारा है। रचनओं के साथ आप जिन कविताओं को उपयोग में लाते हैं, वे रचना में चार चाँद लगा देती हैं।

Puja Upadhyay said...

dil ko choo lene wali rachna...jaise sajag ho uthta hai saara drishya aankho ke aage