खामोश मौत
वो जो तङप भी नही पाते है
उनसे क्या पूछते हो मौत क्या है,
तङप कर जिनमे सह लेने का साहस आ जाता हो,
उनसे क्या पूछते हो मौत क्या है....
मेरी साँस लेती हई लाश से पूछो
कि तडपन की शिकन को दाँतो से दाब कर
मुस्कुरा कर
यह कह देना "जहाँ रहो खुश रहो"
फिर एक गेहरी खामोश मौत मर जाना
कैसा होता है..
***राजीव रंजन प्रसाद्
1 comment:
कविता बहुत अच्छी है
अभिषेक
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