महज इस लिये रंगीन है दुनिया
कि बादल हर रंगों को आँखों में पिरोते हैं
कि बादल तेरे दामन से मेरी आँखों में खोते हैं
कि सादापन तुम्हारा है तो मौसम में रवानी है
कि सादापन तुम्हारा है तो मेरी भी कहानी है
कि सादापन लहर बन कर मुझको डुबोता है कभी
कि सादापन जहर बन कर मुझे ज़िन्दा जलाता भी
कि सादेपन में एक बेहोश सी हसरत पनपती है
कि सादेपन में एक खामोश सी चाहत पनपती है
कि सादापन मुझे मैकश बनाता है कभी या फिर
कि सादपन मुझे मुझ ही में रह जानें नहीं देता
कि सादापन अगर चाहे तो दुनिया ही बदल डाले
कयामत आ के रह जाये
कि आ जाये कोइ विप्लव
कि सारे पल ठहर जायें..
*** राजीव रंजन प्रसाद
१.०४.१९९७
4 comments:
bahut achhe
सुन्दर अभिव्य्क्ति है।
सिर्फ सादगी और तुम..
महज इस लिये रंगीन है दुनिया
कि बादल हर रंगों को आँखों में पिरोते हैं
कि बादल तेरे दामन से मेरी आँखों में खोते हैं
कि सादापन तुम्हारा है तो मौसम में रवानी है
कि सादापन तुम्हारा है तो मेरी भी कहानी है
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
wah bhaut sunder
saadgi itni hi sunder hai apne aap main bhaut puri
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