Monday, January 22, 2007

खबरें…

कब हुई सगाई, कब होगी शादी
कहाँ हनीमून और किस अस्पताल में बच्चे
महीनों से टेलीविजन पर बन सतरंगी समाचार
और रंगबिरंगा हो कर रंगीनपृष्ठी अखबार
खींच रहा है विज्ञापन
कि शीघ्र विवाहित होंगे हरिवंश के पोते
अमिताभ के बेटे अभिषेक बच्चन

..और गुपचुप सी
बीच में चिपक गयी सी खबर
जैसे टाट में पैबंद लग जाता है
वाचक कहता जो, अनसुना सा चला जाता है
दस दिन की बच्ची कचरे के ढेर में मिली
फिर किसी लडकी के चेहरे में तेजाब
फिर कोई स्टोव फटा फिर कोई जली
रोज की खबरें हैं इस लिये बासी हैं
ये कौन सी सद्दाम हुसैन की फॉसी है
कि मौत का आनंद चाय की चुस्कियों के साथ लिया जाये..

ठंड है, रजाई है
रिमोट है और मसालेदार समाचार
किसी के घर के भीतर घुस कर
बेडरूम से लाई गयी ताजा खबर..

दूर दीख पडते फुटपाथ पर
एक गुदडी में सिमट कर सो रहे
बूढे बाबा को देख कर कोई "माईक"
शायद ही पूछे कैसे हैं आप?
जब तक किसी सलमान की गाडी अंतडी न फाड दे..

चाय की दूकान पर "निठारी" की खबरें सुनता
और चाय की ग्लास मुझे थमाता
नन्हा वेटर, अपने जिज्ञासु कान खडे किये
ठिठुरता है ठंड से या खबर से पता नहीं
कि फिर "बच्चन" की शादी की खबरें
उसकी कोरी आँखों में सपना मुस्कुराता है
पैर मेज से टकराती है
ग्लास फूटता है और मालिक के नुकसान से
खिंचे हुए कान सहलाता
फिर देखता है वह उसी खबर की ओर..

मैं महसूस करता हूँ हर ओर कितनी है शांति
विज्ञापन खबरें खरीद रहे हैं
किसे चाहिये क्रांति...

*** राजीव रंजन प्रसाद
१८.०१.२००७

1 comment:

Anonymous said...

राजीव आपकी कविता मुझे पसंद आयी बहुत । मैंने पहले भी आपसे कहा था- रचनाएं भेजते रहें । यार आप तो अपने छत्तीसगढ़ के हैं । मैं फरवरी अंक में आपकी कविता जो मंदिरों पर हैं लेना चाहता हूँ www.srijangatha.com में । मैं चाहता हूँ आप लिखते रहें इस पत्रिका में भी ।
अपने बारे में लिखियेंगा । और हाँ पता भी भेजना यथाशीघ्र, जिससे में नाम पता कविता के साथ छाप सकूँ । पुनः बधाई - कविता के लिए ।
जयप्रकाश मानस
संपादक
सृजनगाथा.कॉम