tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post8690273251854997680..comments2024-02-28T14:12:54.227+05:30Comments on सफर - राजीव रंजन प्रसाद: खामोशी का खामोशी से कत्ल..राजीव रंजन प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-10227581969897556192008-06-23T19:21:00.000+05:302008-06-23T19:21:00.000+05:30निर्जन में पायल की छम पर शायद वीरानों के दिल में ह...निर्जन में पायल की छम पर <BR/>शायद वीरानों के दिल में <BR/>हिरण कुलीचे भरता होगा<BR/> <BR/>बहुत सुन्दर ख्याल हैराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-76896703516151680282008-06-23T12:04:00.000+05:302008-06-23T12:04:00.000+05:30क्या बात है खामोशी का खामेशी से कत्ल।बेहद सुंदर।क्या बात है खामोशी का खामेशी से कत्ल।<BR/>बेहद सुंदर।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-76414656496281803242008-06-23T11:32:00.000+05:302008-06-23T11:32:00.000+05:30yaar raajiv ji....kyaa likhate hain aap...ekdum hu...yaar raajiv ji....kyaa likhate hain aap...ekdum hum gadgad ho jate hain....abhi blogs pe jitane ul-jalul kism ke kavitayen bhar gayi hain..unke bich aapki kavita sukhad jhonke see lagati hai. bahut badhiya....shashah badhai dostBhaskar Lakshakarhttps://www.blogger.com/profile/09222182623399271144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-56934726783797303782008-06-23T01:23:00.000+05:302008-06-23T01:23:00.000+05:30तुझको लेकिन खबर नहीं है कि तूफान तुम्हारे पीछे क्य...तुझको लेकिन खबर नहीं है <BR/>कि तूफान तुम्हारे पीछे <BR/>क्या हलचल करता आया है <BR/>खामोशी का खामोशी से <BR/>कत्ल किया चलता आया है.. <BR/>waah...bahut sundar.bahut badhiya chitran hain.pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-581696192255604062008-06-22T21:25:00.000+05:302008-06-22T21:25:00.000+05:30बहुत सुंदर! आपकी रचनाओं में एक अजीब सी कशिश है। ‘द...बहुत सुंदर! आपकी रचनाओं में एक अजीब सी कशिश है। <BR/>‘दूर पहाडों की सिसकी पर <BR/>हवा चुहुल से मुस्काती है <BR/>पेडों की छाती पर जैसे <BR/>कोई चला कुल्हाड रहा हो’<BR/>और अंतिम पंक्तियां <BR/><BR/>'तुझको लेकिन खबर नहीं है <BR/>कि तूफान तुम्हारे पीछे <BR/>क्या हलचल करता आया है <BR/>खामोशी का खामोशी से <BR/>कत्ल किया चलता आया है..’ <BR/>बहुत ही पसंद आईं। बधाई हो।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-82817750189084328122008-06-22T19:29:00.000+05:302008-06-22T19:29:00.000+05:30खामोशी का खामोशी से कत्ल किया चलता आया है.. -क्या ...खामोशी का खामोशी से <BR/>कत्ल किया चलता आया है.. <BR/><BR/><BR/>-क्या बात है!! वाह!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-69722237246328571092008-06-22T15:42:00.000+05:302008-06-22T15:42:00.000+05:30बहुत बढिया एवं रुचिकर कविता। आपकी इस कविता पर यह प...बहुत बढिया एवं रुचिकर कविता। आपकी इस कविता पर यह पंक्तियां कहने का मन करता है।<BR/>दीपक भारतदीप<BR/>................................................... <BR/><BR/>हमारी जिंदगी में आये वह हवा बनकर<BR/>इसलिये छोड़ जायेंगे कभी <BR/>इसका तो अनुमान था<BR/>पर छोड़ जायेंगे अपने पीछे<BR/>एक बहुत बड़ा तूफान <BR/>हमारे लड़ने के लिये<BR/>इसका गुमान न था <BR/><BR/>आये थे तो वह आहिस्ता आहिस्ता<BR/>कदम अपने बढ़ाते हुए <BR/>अपनी कमर मटकाते हुए <BR/>हमें देख रहे थे आंखें नचाते हुए <BR/>कुछ पल के साथ में लगा कि<BR/>कि वह उम्र भर नहीं जायेंगे<BR/>सदा पास रह जायेंगे<BR/>पर अपना काम निकलते ही<BR/>जो उन्होंने अपना मूंह फेरा<BR/>जिंदगी घिर गयी झंझावतों मेंं<BR/>जिसका कभी पूर्वानुमान न था <BR/>..............................dpkrajhttps://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-1503010657466773292008-06-22T14:28:00.000+05:302008-06-22T14:28:00.000+05:30मटकी तेरे सिर पर और ठीक कमर की लचक जहां पर छल छल क...मटकी तेरे सिर पर और <BR/>ठीक कमर की लचक जहां पर <BR/>छल छल कर छलका करती जब <BR/>तुझको भिगा भिगा जाती है <BR/>दूर पहाडों की सिसकी पर <BR/>हवा चुहुल से मुस्काती है <BR/>पेडों की छाती पर जैसे <BR/>कोई चला कुल्हाड रहा हो<BR/>kya kahu bahut hi khubsurat,bahut bahut badhaiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-798222036640418542008-06-22T11:25:00.000+05:302008-06-22T11:25:00.000+05:30दूर पहाडों की सिसकी पर हवा चुहुल से मुस्काती है पे...दूर पहाडों की सिसकी पर <BR/>हवा चुहुल से मुस्काती है <BR/>पेडों की छाती पर जैसे <BR/>कोई चला कुल्हाड रहा हो <BR/>bhut khub.sundar rachana ke liye badhai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-16455498504274484992008-06-22T10:45:00.000+05:302008-06-22T10:45:00.000+05:30तुझको लेकिन खबर नहीं है कि तूफान तुम्हारे पीछे क्य...तुझको लेकिन खबर नहीं है <BR/>कि तूफान तुम्हारे पीछे <BR/>क्या हलचल करता आया है <BR/>खामोशी का खामोशी से <BR/>कत्ल किया चलता आया है.. <BR/><BR/>वाह क्या बात है, बहुत बढ़ियाश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-41825156770475208692008-06-22T10:31:00.000+05:302008-06-22T10:31:00.000+05:30आपकी कविता पढ़ी ,जिसमे बस्तर की वादियों मे व्याप्त ...आपकी कविता पढ़ी ,जिसमे बस्तर की वादियों मे व्याप्त खामोश वादियों की चीख सुने दे रही है,आपके कविताओ मे बस्तर के अंतर्मन का बारीक़ चित्रण है ,बहुत बढ़िया कविता करते है आप,Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17357750951527069159noreply@blogger.com