tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post7777268402174434817..comments2024-02-28T14:12:54.227+05:30Comments on सफर - राजीव रंजन प्रसाद: मछली और क्षणिकायें..राजीव रंजन प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-82027831669898848622007-06-21T14:38:00.000+05:302007-06-21T14:38:00.000+05:30मुझे पानीं से निकाल करयूं हथेली पर न रखोजानम तुममे...मुझे पानीं से निकाल कर<BR/>यूं हथेली पर न रखो<BR/>जानम तुममें डूबा हुआ ही ज़िन्दा हूं मैं..<BR/><BR/>उस चटुल मछरिया नें<BR/>मेरी आँखों में डूब कर कहा<BR/>तुम बहुत गहरे हो..<BR/><BR/>बहुत खुब राजीव जी। सुंदर क्षणिकाएँ हैं।समझने में मुझे ज्यादा मशक्कत भी नहीं करनी पड़ी ।विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-23517367411462075892007-06-20T11:04:00.000+05:302007-06-20T11:04:00.000+05:30पाडकास्ट पर टिप्पणी हो नहीं पा रही है, यह कलम घसीट...पाडकास्ट पर टिप्पणी हो नहीं पा रही है, यह कलम घसीटो कविता पर टिप्पणी है,<BR/>------------------<BR/><BR/>भाई राजीव जी,<BR/><BR/>आपकी रचना में आग है, हम भी बस्तर में रहे हैं, दन्तेवाड़ा में। आपकी बातों के सच की चुभन महसूस कर पा रहा हूँ। उस समय आपसे परिचय नहीं था, अन्यथा साक्षात आपको सुनते। खैर वह अवसर अवश्य आएगा।<BR/><BR/>ये पंक्तियाँ विशेष रूप से पसंद आईं,<BR/><BR/>बड़े विचारक हो तुम तो भाई,<BR/>चने बिक रहे हैं उसी लेखनी पर,<BR/>ज़रा सोच पर अपनी पोंछा लगाओ,<BR/>कलम हाथ में तो खुदा बन गए हो,<BR/>नकाबों के पीछे लुटेरे छिपे हैं,<BR/><BR/>अभिनवअभिनवhttps://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-36405669032760107832007-06-19T15:02:00.000+05:302007-06-19T15:02:00.000+05:30Bahut sundar hain saaree chhadikaayen..darshan bhi...Bahut sundar hain saaree chhadikaayen..darshan bhi hai aur roomaniyat bhi.. behad umdaa..Monika (Manya)https://www.blogger.com/profile/02268500799521003069noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-53316745447277208842007-06-19T06:39:00.000+05:302007-06-19T06:39:00.000+05:30राजीव जी,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ गहरे अर्थ......राजीव जी,<BR/><BR/>बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ गहरे अर्थ....बधाईReetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-49539752839898086192007-06-18T22:29:00.000+05:302007-06-18T22:29:00.000+05:30तुम्हारी लेखनी में एक खिचाव तो जरुर है कि आना हो ह...तुम्हारी लेखनी में एक खिचाव तो जरुर है कि आना हो ही जाता है…उम्दा एक बार फिर…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-87315862628980682892007-06-18T22:22:00.000+05:302007-06-18T22:22:00.000+05:30उस चटुल मछरिया नेंमेरी आँखों में डूब कर कहातुम बहु...उस चटुल मछरिया नें<BR/>मेरी आँखों में डूब कर कहा<BR/>तुम बहुत गहरे हो..<BR/><BR/>मुझे पानीं से निकाल कर<BR/>यूं हथेली पर न रखो<BR/>जानम तुममें डूबा हुआ ही ज़िन्दा हूं मैं..<BR/><BR/>bahut aachi lagi yeh dono shanikaayen...<BR/><BR/>baaki do bhi aachi ban padi hain magar yu lagta hai jaise aapne fish tank ke paas baith kar likhi hain :)Anupamahttps://www.blogger.com/profile/12917377161456641316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-45102255138987815512007-06-18T18:29:00.000+05:302007-06-18T18:29:00.000+05:30राजीव भाईबहुत गहरी सोच लाये हैं आपऔर अपनी आँखों मे...राजीव भाई<BR/><BR/>बहुत गहरी सोच लाये हैं आप<BR/><BR/>और अपनी आँखों में<BR/>पार्थ का चिंतन..<BR/><BR/>आधे छोड़े हुए अभिप्राय में पूरा दर्शन समाहित किया है.राकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-11425647278452747712007-06-18T16:40:00.000+05:302007-06-18T16:40:00.000+05:30बड़ी सुंदर क्षणिकायें हैं। चित्र भी बहुत अच्छा लगा...बड़ी सुंदर क्षणिकायें हैं। चित्र भी बहुत अच्छा लगा।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-26728600585477976172007-06-18T15:26:00.000+05:302007-06-18T15:26:00.000+05:30सभी सुंदर हैं विशेषकर:उस चटुल मछरिया नेंमेरी आँखों...सभी सुंदर हैं विशेषकर:<BR/><BR/>उस चटुल मछरिया नें<BR/>मेरी आँखों में डूब कर कहा<BR/>तुम बहुत गहरे हो..<BR/><BR/>वाह!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-71321451832121936842007-06-18T15:13:00.000+05:302007-06-18T15:13:00.000+05:30सुंदर क्षणिकायें....उस चटुल मछरिया नेंमेरी आँखों ...सुंदर क्षणिकायें....<BR/><BR/>उस चटुल मछरिया नें<BR/>मेरी आँखों में डूब कर कहा<BR/>तुम बहुत गहरे हो..<BR/><BR/>bahut khoobरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.com