tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post6555311158525294134..comments2024-02-28T14:12:54.227+05:30Comments on सफर - राजीव रंजन प्रसाद: हवा का डाकिया इस वक्त, तेरी याद लाया है...राजीव रंजन प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-8553807309533091242008-04-24T10:45:00.000+05:302008-04-24T10:45:00.000+05:30राजीव जी!काफी समय बाद एक बार फिर आपके इस सुंदर गीत...राजीव जी!<BR/>काफी समय बाद एक बार फिर आपके इस सुंदर गीत को पढ़ना बहुत अच्छा लगा.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-11908826194511730972008-04-23T22:27:00.000+05:302008-04-23T22:27:00.000+05:30कितना कुछ था करने को, न कर पाया, न हो पायालपट है व...कितना कुछ था करने को, न कर पाया, न हो पाया<BR/>लपट है वक्त की जिसपर, जवानी होम कर दी है<BR/><BR/>सुन्दर रचना है आपकी. लिखते रहेंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-75894273358865785412008-04-23T14:14:00.000+05:302008-04-23T14:14:00.000+05:30राजीव जी, कविता निस्संदेह बहुत अच्छी है और दर्शाती...राजीव जी, कविता निस्संदेह बहुत अच्छी है और दर्शाती भी है कि क्यों इस क्षेत्र में आप एक बढिया मुकाम रखते हैं। लेकिन मुझे एक बात जो खटकी( वैसे कोई बड़ी बात नहीं है, पर चूँकि आपसे perfection की उम्मीद रहती है,इसलिए कह रहा हूँ) कि आप्ने पहले वाले अंतरे में<BR/><BR/>१-२-३-२-४-२ का पालन किया है...<BR/><BR/>मुझे उस प्यार की सौं है, मुझे अंगार की सौं है<BR/>मेरे सीनें में जो जल कर, मुझे ही मोम करती है<BR/>मेरा सपना, मेरी हर कल्पना, हँसती है मुझ ही पर<BR/>मेरा संकल्प घायल है, उदासी व्योम करती है<BR/>कितना कुछ था करने को, न कर पाया, न हो पाया<BR/>लपट है वक्त की जिसपर, जवानी होम कर दी है।<BR/><BR/>इसमें देखिए आपने "मोम","व्योम" और "होम" के साथ तुकबंदी की है।<BR/><BR/>लेकिन आगे के दो अंतरों में आपने १-१-२-२-३-३ का पालन किया है , जैसे कि "सूरज,कागज़", "सोना, रोना", "मशालें,दुशालें" ।<BR/><BR/>ये दो अलग पैटर्न पढने समय मेरा ध्यान भंग कर रहे थे। इसलिए सोचा कि आपको भी तंग कर दूँ। वैसे यह कोई बड़ी कमी नहीं है, लेकिन मुझे लगी ..... ;)<BR/><BR/>बाकी कविता के क्या कहनें,<BR/>नख-शिख है चमत्कृत बिन गहने।<BR/><BR/>-विश्व दीपक ’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-20575333493124937522008-04-23T13:17:00.000+05:302008-04-23T13:17:00.000+05:30तुम्हीं तो थे, जिसे जज़्बों पे मेरे प्यार आता थातुम...तुम्हीं तो थे, जिसे जज़्बों पे मेरे प्यार आता था<BR/>तुम्हीं नें तो मुझे खत लिख के जोडा एक नाता था<BR/>जमीनों आसमा की बात, जन्मों की कहानी थी<BR/>मेरे कदमों तले तुमको कोई दुनियाँ बसानी थी<BR/><BR/>बहुत खूब राजीव जी ..आपकी कविता के यह तेवर मुझे बहुत भाते हैं ..सुंदर कविता के लिए बधाई :)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-31922671742932805462008-04-23T12:30:00.000+05:302008-04-23T12:30:00.000+05:30बहुत ही सुन्दर रचना।बहुत ही सुन्दर रचना।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-17755050793025528172008-04-23T11:40:00.000+05:302008-04-23T11:40:00.000+05:30sweet poemsweet poemrakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-42836891317582280462008-04-23T11:10:00.000+05:302008-04-23T11:10:00.000+05:30मैं आशा की किसी लौ को ही जलता देख तो पातातुम्हीं न...मैं आशा की किसी लौ को ही जलता देख तो पाता<BR/>तुम्हीं नें तो पलक मूंदी, हरेक दीपक बुझाया है<BR/><BR/>सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-51363455503400177272008-04-23T11:04:00.001+05:302008-04-23T11:04:00.001+05:30प्रसाद जी,इस सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।लिख...प्रसाद जी,<BR/><BR/>इस सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।<BR/><BR/>लिखते रहें।<BR/><BR/>रिपुदमन पचौरीरिपुदमन पचौरीhttps://www.blogger.com/profile/00582757256174637399noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-7872665098194056112008-04-23T11:04:00.000+05:302008-04-23T11:04:00.000+05:30वाह .. बहुत ही सुन्दर लयबद्ध प्रवाही रचना है बहुत ...वाह .. बहुत ही सुन्दर लयबद्ध प्रवाही रचना है <BR/>बहुत अच्छा लगा, आपकी अन्य कविताओं से थोड़ा हटकर लगीभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.com