tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post3972666706042514143..comments2024-02-28T14:12:54.227+05:30Comments on सफर - राजीव रंजन प्रसाद: नक्सलवादी या उनके समर्थक - सुकारू के हत्यारे कौन? (बस्तर का हूँ इस लिए चुप रहूँ - संस्मरण, कडी-2)राजीव रंजन प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-14594961187052204362008-06-05T17:56:00.000+05:302008-06-05T17:56:00.000+05:30बहुत करीब से महसूस किया है आपने. मैं भी क्रांति गी...बहुत करीब से महसूस किया है आपने. मैं भी क्रांति गीत गा चुका हूं. जानता हूं क्रांति गीतों के अंदर की राजनीती का सच भी. आपकी कलम वाकई अपना कर्तव्य निभा गई. दढियल लेखकों कि जिस जमात को आपने इंगित किया उन्हें वास्तव में सोचना चाहिये कि किस क्रांति की बात वो करते है.... क्रांति का एक सरल अर्थ जनता को देना आवश्यक है.. जिसका अर्थ वास्तव मे सुकारू जैसे युवक समझ सके....... उत्तम रचना कर्म के लिये बधाई....योगेश समदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/05774430361051230942noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-39131844608559491432008-06-04T16:30:00.000+05:302008-06-04T16:30:00.000+05:30Aapka dard saaf jhalak utha hai, ya yun kahoon ki ...Aapka dard saaf jhalak utha hai, ya yun kahoon ki sach ujagar kar ke rakh diya hai aapney. <BR/>Sukaroo ki tadap vakiy dil ko hila dene wali hai. bahut hi gehri chaap chodta hai aapka yeh patr.Manuj Mehtahttps://www.blogger.com/profile/12578930117506914122noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-43359379116687296182008-06-04T14:39:00.000+05:302008-06-04T14:39:00.000+05:30bahut sashakt lekhani hai aapki.... yahi dhaar ban...bahut sashakt lekhani hai aapki.... yahi dhaar bani rahe ....shubhkamnayen..Kirtish Bhatthttps://www.blogger.com/profile/10695042291155160289noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-81048171916226331522008-06-04T09:18:00.000+05:302008-06-04T09:18:00.000+05:30यह केवल आपकी अनुभूति नहीं । यह केवल बस्तर की अनुभू...यह केवल आपकी अनुभूति नहीं । यह केवल बस्तर की अनुभूति भी नहीं । इसमें समूची मानवता को दिये जा रहे त्रास की अनुभूति है । और साहित्यकार का काम यही है कि वह मानवता को बचाता रहे । <BR/><BR/>इस संस्मरण के विचार मन को झकझोरते हैं । इसमें पगी हुई भावनायें हमें उन भोले-भाले आदिजनों के सम्मुख ले खड़ी करती हैं । और क्या चाहिए शब्दों से हमें इसके अलावा । <BR/><BR/>शब्द वही जो किरणें बाँटे<BR/>शब्द वही जो हमें एक गहरी रात के बाद जगायें <BR/>शब्द वही जो हत्या के ठीक पहले हथियार बन जाये <BR/><BR/>वेलडनसृजनगाथाhttps://www.blogger.com/profile/09126439425427435270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-56287978571800294832008-06-03T20:48:00.000+05:302008-06-03T20:48:00.000+05:30विचारोत्तेजक दूसरी कडी के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ।...विचारोत्तेजक दूसरी कडी के लिये बहुत बहुत धन्यवाद । आपने बस्तर के दर्द को बेहतर उकेरा है । हमने तो कुछ रिश्तेदार सुकारूओं को भी खोया है । भिलाई के एएसएफ कालोनी में जब देर रात को फोन की घंटीं बजती है तो परिवार भय से किस कदर कांपता है इसको भी सुना है पर हमारे पास शव्द नहीं है आपने बस्तर की स्थिति स्पस्ट करने की ठानी है इसके लिये आभार ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-54668364539951420662008-06-03T19:32:00.000+05:302008-06-03T19:32:00.000+05:30बहुत सशक्त लेखन है आपका. जिस तरह आपने बस्तर के दर्...बहुत सशक्त लेखन है आपका. जिस तरह आपने बस्तर के दर्द को अपने लेखन के जरिये पेश किया है, वो बहा ले जा रहा अपने साथ. बहुत बधाई इस आलेख के लिए.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-6892400894713800802008-06-03T18:41:00.000+05:302008-06-03T18:41:00.000+05:30आप कॉमनष्टों के गिरोह से बाहर आ गए। अच्छा हुआ। य...आप कॉमनष्टों के गिरोह से बाहर आ गए। अच्छा हुआ। यह साम्राज्यवादी विचारधारा भारत मां के सैकडों लालों का जीवन तबाह कर रहा है। इनका कहना है कि साम्यवाद-नक्सलवाद सर्वश्रेष्ठ विचारधारा है। फिर ये क्यों नहीं बहस-मुबाहिसे और लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करते है। ये कहते है कि जनता हमारे साथ है तो फिर क्यों इनके चुनाव-बहिष्कार का कोई असर नहीं होता। बेगुनाहों की लाशें बिछाना कौन सी विचारधारा है। जो विचारधारा मानव-प्राण का सम्मान नहीं कर सकता वह खाक परिवर्तन करेगा। <BR/><BR/>जयप्रकाश नारायण ने कहा था- जिन्हें जनता का विश्वास प्राप्त नहीं होता वे ही हिंसा का सहारा लेते है। <BR/><BR/>आलेख विचारोत्तेजक है। धन्यवाद।संजीव कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/11879095124650917997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-5032807938736298472008-06-03T16:29:00.000+05:302008-06-03T16:29:00.000+05:30राजीव जी,जिस माटी से मनुष्य जन्म लेता है उससे लगाव...राजीव जी,<BR/>जिस माटी से मनुष्य जन्म लेता है उससे लगाव रखना और उसकी खैर खबर रखना उसकी लग्न और भावनाओं का द्योतक है.. बस्तर से जुडे एक और रोचक प्रसंग के लिये धन्यवाद... <BR/><BR/>अपने किसी जानकार का इस तरह से संसार से चले जाना निश्चय ही एक दुखद घटना है... ईश्वर सुकारू की आत्मा को शान्ति प्रदान करें..<BR/><BR/>आपने सही लिखा है कि आजकल कलम सिर्फ़ सनसनी फ़ैलाने का काम कर रही है या सिर्फ़ पैसों के लिये लिख रही हैMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-84830100736036694912008-06-03T16:07:00.000+05:302008-06-03T16:07:00.000+05:30राजीव जी,कलम का ईमान होता है। लेकिन अधिकांश मामलों...राजीव जी,<BR/>कलम का ईमान होता है। लेकिन अधिकांश मामलों में मीडिया की कलम भी तो बिकी हुई है। सब पैसे का खेल है। <BR/>कुछ लोगों के लिए कलम सिर्फ स्वार्थसिद्धि का जरिया है। इसमें बाधा न पहुंचे, इसलिए वे धौंस जमाकर दूसरों को बोलने नहीं देना चाहते। <BR/>जिनकी कलम बिकाउ नहीं है, उनके लिए ये चिटठे वाकई वरदान साबित हो रहे हैं। यहां किसी मतलबी सेठ या पाखंडी संपादक के नाराज होने का डर नहीं।<BR/>जारी रखें। स्वतंत्र अभिव्यक्ति ही ब्लॉगजगत की ताकत है।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-45921346935054716902008-06-03T14:30:00.000+05:302008-06-03T14:30:00.000+05:30विजय जी,मैने पैराग्राफ में लिखा है कि नक्सलियों के...विजय जी,<BR/><BR/>मैने पैराग्राफ में लिखा है कि नक्सलियों के बिछाये बारूदी सुरंग के फटने से सुकारू की मौत हुई, संभव है वह पंक्ति आपकी निगाह से चूक गयी हो।..आपने यह लेख पढा इसका आभार।<BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-16356630516447217462008-06-03T14:07:00.000+05:302008-06-03T14:07:00.000+05:30राजीव जी निश्व्त ही आपने सुकारू नाम के नवयुवक को ज...राजीव जी निश्व्त ही आपने सुकारू नाम के नवयुवक को जिस संवेदनशीलता से याद किया, पठनीय है. पाठक इसे पढे भी, इसकी कोशिश भी आपके शीर्षक से दिखायी देती है. <BR/>लेकिन यहां वे कारण स्पष्ट नही हो पा रहे है कि सुकारू की हत्या क्यों हुई ? हत्या के कारण जाने बिना हत्यारों की शिनाख्त कैसे हो सकती है.विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-22157493365018492542008-06-03T12:36:00.000+05:302008-06-03T12:36:00.000+05:30बस्तर के दर्द को बखूबी बखान कर रही है आपकी कलम, बे...बस्तर के दर्द को बखूबी बखान कर रही है आपकी कलम, बेहद मर्मिक चित्रण किया है आपने संसमरण में काश दिल्ली और बडे-दिल/दाढ़ी वाले ये दर्द समझें<BR/><BR/>अपनी बात सुकारू की उस तडप से आरंभ करना आवश्यक समझता हूँ जिसमें उसके मन में एसी जिन्दगी की तमन्ना थी जिसमें उसके पास सायकल, रेडियो और चटख लाल रंग की कमीज हो। इस सपने के लिये उसे पास की लोहे की खदान में मजदूर हो जाने की तमन्ना है। <BR/><BR/>मैने भीड में से जगह बना कर अहाते के भीतर झांक कर देखा..उफ!! बीसियों लाशें पडी थीं। हर लाश उस कफन में लपेटी हुई जो रक्त सोख सोख कर लाल हो गया था। नसे सुलग उठीं..एक लाश एसी भी जिसे साबुत समेटा न जा सका था और गठरी में बाँध कर रखा गया था...गठरी से लाल लहू फर्श लाल कर गया था। यही क्रांति है? क्या इसी की हिमायत करते फिरते हैं कलम थाम कर पत्रकार, कवितायें लिख कर कवि और दढियल लेखक। क्या कलम का ईमान होता है?<BR/><BR/>तब से बहुत पानी इन्द्रावती में बह गया है। हाल ही में घर गया था तो आस पास के वीरान होते गाँवों के बारे में सुना। आखिर कहाँ जायें ये आदिम? सरकारी संरक्षण में या नक्सली शरण में या खुद बंदूख थाम लें....उनकी डगर में काँटे बहुत हैं चूंकि उनके लिये सहानुभूति किसे है? बाहरी दुनिया जानती है कि बस्तर में क्रांति हो रही है। आह सुकारू तुम मारे गये चूंकि पत्ते छोड कर तुमने खाकी पतलून पहन ली थी। क्रांति के आडे आ गये थे। बहुत जल्द दुनिया बदलने वाली है...बस्तर को श्रद्धांजली देने वाले दिल्ली में रिहर्सल कर रहे है। अखबार चीख रहे हैंभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-9195598135448831372008-06-03T12:25:00.000+05:302008-06-03T12:25:00.000+05:30राजीव जी आपकी लेखनी में बस्तर का दर्द उभर कर आया ह...राजीव जी आपकी लेखनी में बस्तर का दर्द उभर कर आया है। सुकारू की आत्मा को शन्ति मिले यही प्रार्थना है। अगली कडियों का इन्तज़ार रहेगा।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.com