tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post116402025781228596..comments2024-02-28T14:12:54.227+05:30Comments on सफर - राजीव रंजन प्रसाद: राजीव रंजन प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-8138196573709124132007-04-08T04:40:00.000+05:302007-04-08T04:40:00.000+05:30मै बिखरता जाता हूँमैने फूटा हुआ आईना जोडने कि कोशि...मै बिखरता जाता हूँ<BR/><BR/>मैने फूटा हुआ आईना जोडने कि कोशिश मे<BR/>ज़िन्दगी बटोर ली<BR/>दर्द की लेई बना कर<BR/>सब कुछ जोडता जाता हूँ......<BR/><BR/>वक्त के साथ कडुवाहट जुडती है<BR/>कडुवाहट के साथ अश्क जुडॅते है,<BR/>अश्क के साथ टीसे जुडती है<BR/>टीसो के साथ आहे जुडती है<BR/>आहो के साथ कसक जुडती है<BR/>कसक के साथ बहुत से सपने बटोर कर जोडता हूँ..<BR/>और उनके साथ तुम्हे जोडता हूँ<BR/><BR/>ज़िन्दगी जुडती जाती है,<BR/>मै बिखरता जाता हूँ...<BR/><BR/>Ab kya kahoon Rajeevji..<BR/>bas wah nikal rahi hai..aur kuch nahin,,<BR/><BR/>likhte rahiyeVibha tiwarihttps://www.blogger.com/profile/16857112512338765029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-37624905.post-1164359342910773742006-11-24T14:39:00.000+05:302006-11-24T14:39:00.000+05:30रजीव जीबहुत सुन्दर कविता हैदेख कर मन खुश हो गयाअभि...रजीव जी<BR/>बहुत सुन्दर कविता है<BR/>देख कर मन खुश हो गया<BR/>अभिषेकअभिषेक सागरhttps://www.blogger.com/profile/02262214864547622776noreply@blogger.com